शनिवार, 16 जनवरी 2010

अंतिम चर्चा

उनके साथ हुई अध्यात्म चर्चा में प्रकाश का महत्त्व रहा है, जो उन्हें अपने अंत कालमें देखा हो ऐसा लगता है । ये सब देखते आश्चर्य मुद्रा में हंसते हुए विस्मय युक्त कोई बहोत बड़े विराट प्रकाश तेज को देखे हुए बावले से हुए थे !भूमा विद्या की यही पहचान होगी। परमात्म तत्त्व का अंश मात्रही आत्मा तत्त्व है ! जो इधर उधर सर्वत्र ज्यादा कम मात्रामें बिखरा है !जैसे अज्ञानके महासागर में कोई ज्ञान !अन्धकार में एक प्रकाश बूंद !और यह बूंद का फ़ैल जाना ! जैसे एक पानी भरे ग्लास में एक स्याही की बूंद कैसे फ़ैल जाती है !वैसे ही आत्मा का फ़ैल जाना है ! जैसे पेड़ की डाल ! भगवन बुध्ध का जन्म
हुआ तब वो सिध्धार्थ थे । उनके युवावस्था के बाद हुए ज्ञान ने उन्हें बुध्ध बनाया था । जब उनका जन्म हुआ तो राजाने ज्योतिषी पंडित को बुलाया और उनकी पत्रिका सुनी। पत्रिका को पढ़ते पढ़ते पंडित बड़ा हर्ष में आ गया । वो बोला राजा यह कोई सामान्य बालक नहीं है यह तो बड़ा चक्रवर्ती होगा या तो भगवन स्वरूप बनेगा ! बहोत खुश होते यह वर्णन करते और यह कहते कहते थोड़ी देर में पंडित रोने लगा !किन्तु थोड़े समय बाद पंडित का पुत्र वहा आया । पंडित ने अपने पुत्र को देखा तो फिरसे खुश हो कर वर्णन करने लगा राजा तुम्हारा यह पुत्र प्रत्यक्ष संसार में भगवत स्वरूप बड़ा होगा तब बनेगा ! राजा ने खुश होकर उसे दक्षिणा दी जो लेकर अपने पुत्रके साथ पंडित खुश होता हुआ अपने घर गया !! किन्तु इसी बात से चतुर राजा परेशान हुआ वह सोचता रहा जन्मकुंडली देख पंडित पहले हंसा फिर रोया फिर हंसा इसीमे जरुर कोई संदेह होगा !! इसी बात से चिंतित राजा ने रात को फिर पंडित को बुलाया । पंडित डर गया बोला मुजसे कुछ भूल हुई है क्या ! किन्तु राजा ने सांत्वना दी और कहा ऐसी कोई बात नहीं है किन्तु मुझे तुम्हारी जन्मकुंडली देखते समय की हुई चेष्टा ने शंका युक्त बनाया है क्योकि तुम पहले खुश होकर बोलते थे फिर आंख में आंसू लाये फिर तम्हारे पुत्र के आने बाद तुम ख़ुशी से वर्णन करने लगे यह बात से मेरा चतुर मन संदेह युक्ता हुआ है की ऐसा क्या हुआ है !!! यह बात सुन कर पंडित ने साँस ली और हंस पड़ा अरे इतनी सी बात है तो सुनो ! पंडित बोला " सुनो ! जब मै जन्मकुंडली देखता था तब मैंने देखा की यह बालक बड़ा हो कर एक भगवत स्वरूप बुध्ध बनेगा !मै खुश हो गया ओहो भगवान ने अवतार लिया !!किन्तु मै यह सोचने लगा की यह पहले तो सामान्य मनुष्य रहेगा और जब बुध्ध बनेगा तब तक तो मै मर जाऊंगा !!ओह !! मुझे इस जन्म में भगवान के दर्शन नहीं होंगे !! यह सोचते सोचते मेरी आँखों में पानी आ गया किन्तु जब मेरा पुत्र वहा आया तो उसे देखकर मुझे एक शांति मिली चलो मुझे नहीं तो मेरे पुत्र को तो भगवन के दर्शन होंगे वो मुजेही हुए क्योकि यही तो मेरा अंग है !!" 
बस इस बात को समज लेना है !!एक से होते है २ अमिबा सैल ! उनकी वृध्धि होती रहती है !!प्राणी भी एक से अनेक बनते रहते है ! क्या यह तरीका है आत्मा तत्व का फैलना !!ये पेड़ पौधे सभी हमें बहोत कुछ कह रहे है हमारे में छुपे कई प्रश्नों के उत्तर !!यह विज्ञानं या अज्ञान की बात नहीं है केवल है समज !!!


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