भाई शंकर उपाध्याय शिरस्तेदार इडर में थे। वो शिव शंकर के ससुर थे।ये भी उस ज़माने में शिरस्ते
दार थे। उनको भी ज्योतिष विषय में रस था। दावड़
में कार्यालय किया था !!
मंगलाबेन उनकी पत्नी का नाम।
दार थे। उनको भी ज्योतिष विषय में रस था। दावड़
में कार्यालय किया था !!
मंगलाबेन उनकी पत्नी का नाम।
बोलुन्द्रा में उतने पुराने समय में अपने भाई को विदेश भेजने का साहस किया था । उस भाई काना था रमण लाल जो बारिस्टर थे। एवं उन्होंने भारत के राष्ट्रपति की उम्मीदवारी श्री वि वि गिरी के सामने की थी।
ज्योतिषशास्त्र एवं कर्मकांड के ज्ञान के कारण वड़ोदरा में देश आजाद होने के पश्चात् देव ज्योतिषालय को लाना पड़ा था।
शेयर बाज़ार में व्यर्थ सहसोसे उन्हों ने देखा की शयेर में लालच से इन्सान इसी खिंच जाता है। उनको यह बात ठीक ना लगी और इसकी पुकार अंतर से निकली जो उन्हेंने अपने शब्दोमे लिख दिया यह रास्ता ठीक नहीं है !! गधा है वो !!!
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