जगन्नाथ शास्त्री ,भाई परमानंद,भवानीशंकर,हरिशंकर ,भानाभाई भानुप्रसाद, भाई शंकर ,रणछोड़ काका इन सबको साथ लेकर यज्ञ यागादी कार्यो में खूब काम किया। कई देव प्रतिष्ठा बड़े यज्ञ भी किये ।
चाचा पुरषोत्तम
कभी कभी हम देखते है की इन्सान कुछ कामो से फंसा रहता है। बचपनमे पिता गवाए। उनके बरोबरी दोस्त थे चाचा परसोत्तम वो भी चल बसे। उनके संतान अपने भाई बहन सब मिलके पूरी जिम्मेदारी खुद पर रही । और कह गए बापा। खुद की भी कहानी में पहली पत्नी चल बसी विवाह्के शरुमे ! दूसरी डो बच्चे छोड़ के चल बसी और तीसरी से संसार चला तो बच्चो की संख्या बढ़ी। उसीके दौरान देशा का आजाद होना और खुदका सनातन मंडल में सेवा कार्यमे लगा रहना यह सब चला जिसमे जिम्मेदारिया आर्थिक उल्जने यह सब बना रहा ! अपने दादा के नाम देवशंकर ज्योतिषज्ञ के नाम से बनाया था देव ज्योतिषालय ! जिसका बेंगोली प्रोनॉस से देओ होता था इसीलिए इंग्लिश में DEOJYOTISHALAYA किया !!महात्मा गाँधी को मिले नडियाद में ,वहा उन्होंने चाय पीना छोड़ दिया। क्योकि गाँधी कुछ भी व्यसन छोडो तो हो बात करते थे। राजज्योतिषी होने से बड़ी अच्छी स्तिति थी फिरभी देश आजाद हुआ तो ना रहा राज ज्योतिष का पद भी और छोडके आये वड़ोदरा १९४९ में !यहाँ दिया है उस समय का कुछ पन्ना !
आज भी उनके पुत्र राजेन्द्रप्रसाद व्यास अवं पौत्री जोषी धारा वास्तु एक्स्पर्ट इसी सेवामे व्यस्त है !! पौत्र राकेश कुमार रत्नो अवं ज्वेलरी में व्यस्त है !!
आज भी उनके पुत्र राजेन्द्रप्रसाद व्यास अवं पौत्री जोषी धारा वास्तु एक्स्पर्ट इसी सेवामे व्यस्त है !! पौत्र राकेश कुमार रत्नो अवं ज्वेलरी में व्यस्त है !!
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