सोमवार, 4 जनवरी 2010

रजवाडो में सेवा

पहले मिटटी के घर थे । बचुकाका का जो घर है उसके सामने एक नीम  का पेड़  रहा करता था । वहा भगवान दादा ध्यान किया करते थे । जिनकी मृत्यु  उनके १०१ की उम्र में हुई थी । वहा एक भोयरा था । इंट  के मकान  पहले गौरीशंकर काका का बना था। उसके बाद भवानीशंकर का और उसके बाद शिवशंकर  का बना था । भगवान दादा अंदाज़ इ १६९७ बड़े भक्त थे । यही अध्यात्म वृत्ति बच्चो में चली आई   होगी ।































સમાજ સેવા મેં જોડાયેલા રહ્યા.તે સમય ન છાપણું પણ છે.1945 માં જ્યોતિષ નું કામ ચલાવતા તેનું લેટર પેડ છે.જે bolundara ગામ માં હતું. આજે વડોદરા છે.આજે ગેંડા સર્કલ પાસે ઈશા હોસ્પિટલ સામે છે. મ 9376214921  રા.વ્યાસ 9898563630.ધારાબેન જોશી 9898280002 મુલાકાત આપે છે.






















उनकी सेवाए सतत रही है । राज्य कार्य में ,भारत की आज़ादी के काम में ,सनातन धर्म रक्षण के काम में ,यज्ञ यागादी में, ज्योतिष में ,संस्कृत प्रचार में कहा भी । यही गुणों के लेकर उनके छोटे भाई भवानीशंकर आखिर तक विश्व हिन्दू परिषद् की सेवामे जुटे रहे ! छोटे भाई परमानंदजी सरपंच पद पे रहे और कोंग्रेस के पहेले अधिवेशन में गए थे। शिवशंकर  उनके समय में इडर ,वडा गाम ,रणासण ,बोलुन्द्रा ,मोहनपुर जैसे रजवाडो में राज ज्योतिष का काम किया था। विनय सिंह जी  ने तो अपने पुत्रो भिखेंद्र सिह ,दिलीप सिह को शिक्षा प्राप्ती के लिए   उनके पास ही रख्खे थे !











सनातन मंडल में उस समय साबरकांठा का नाम महिकंथा था वहा उनके काम रहे है । महात्मा गाँधी को नडियाद में मिले थे। किन्तु गाँधी उनको मिलते जो कोई भी आदत को छोड़े !उनको कोई आदत ना थी किन्तु कभी भी चाय पि लेते थे । गाँधी के पास ये उन्होंने छोड़ा था ।विविध सम्प्रदायों को  मिलते थे  और उनके विषयो का  अभ्यास करते  रहते थे। क्योकि उनके  मोसल में  रामकबीर संप्रदाय के थे ।

















बोलुन्द्रा का इतिहास है ।

 इसीका भी वर्णन मिल सकता है किन्तु संक्शिप में उनका चित्र का पन्ना दिया हुआ है। बोलुन्द्रा में शिव मंदिर है । त्रम्बक्रम दादा एवं भैशंकर दादा बनारस से शिव लिंग लाये हुए थे । उन लोगो ने जुना आश्रम ,अभी के क्रुश्नास्रम में ,गाव के शिवालय में ,और अजय्भई के घर के आगे जो मंदिर है । वहा अज भी ये है। अजय भाई के घर के आगे जो शिव लिंग है वो भाई शंकर दादा का लाया हुआ था । गाव का शिवलिंग की जगह अज मंदिर बन गया है वहा हनुमान जी की मूर्ति एवं नवग्रह भी है ।






















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