उनका जन्म हुआ तब नर सिंह दादा ने शिव की उपासना की थी । इसीलिए उनका नाम शिवशंकर रख्खा था ! वैसे तो उनकी जन्म राशी सिंह थी ! उन्हों ने खुद ने भी गाव के शिवालय में सतत धारा कर के अतिरुद्र करवाया था । कुटुंब में सबको वो दत्तबावनी शिवमहिम्न स्तोत्र एवं विष्णुसहस्रनाम स्तोत्र सतत करवाते थे ! वो मानते थे की हम सब कोई अदृश्य शक्ति के निचे काम कर रहे है । उसकी मर्जी को मुनासिब समज कर आनंद से अपना कर्म करते रहो ।
देव पंचायत की पूजा का महत्व कहते थे. नाम अक्षरों से किसी पंचायत से लाभ होगा यह निर्णय पर महत्व देते थे .
देव पंचायत की पूजा का महत्व कहते थे. नाम अक्षरों से किसी पंचायत से लाभ होगा यह निर्णय पर महत्व देते थे .
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