रविवार, 4 अगस्त 2013

कौटुम्बिक कार्य

कौटुम्बिक कार्य  ज्ञाति इन सबका बड़ा महत्व था उस ज़माने में।  लोग प्रसंगों में हाजर रहने में गौरव मानते थे।
मणि बेन का पुत्र भानुप्रसाद कुकरवाड़ा में ज्योतिष कर्मकांड करते थे । शिवशंकर व्यास की ज्येष्ठ पुत्री मुक्ता बहन,निरंजना एवं शर्मिष्ठा कुकरवाड़ा में विवाह किया था।
रमन काका  जनार्दनराय आनन्दी बहन व
પોતાના મસીયાઈ અને કૌટુંબિક ભાઈ ગૌરીશંકર મિત્ર સમ હતા



 તેમના અવસાનથી દુઃખી શિવશંકર વ્યાસ ના હસ્તે લખાયેલ રચના.
જ્યોતિબેન ના લગ્ન સમયે બાપા

बोलुंद्रा में जो जgदीशभाई के घर के आगे शिव लिंग है वो भैशंकर दादा ले आए थे।जो लक्ष्मीशंकर को दत्तक गए थे।उनका जन्म शकाब्द 1803चैत्र कृष्ण 6 बुध बार को हुआ था ।उनकी जन्म कुंडली ।









शनिवार, 3 अगस्त 2013

भूमा विद्या का लगाव था शिवशंकर को।

भूमा विद्या का लगाव था शिवशंकर को।  संसार में बिलकुल संसारी की तरह रहेना किन्तु बुध्धि को जोड़े रखना  भूमा के ज्ञान से।
वो बार बार यही कहते रहते थे मैंने इस जीवन में तिन भाग  देखे है।  अगर मर जाऊ तो तो मौत ऐसी हो।  इस प्रकार दैहिक दिमाग दोनों पर १० दिन कष्ट से गुजरे और आखिर दिन ऐसे हुए के सबसे बात की प्रभु भजन किये और अपने की हाजरी में सबको शुभाशीष देते हुए देह त्याग किया।  यह भूमा सिध्धि जिसको समज ए वो समज शके।
भूमा और अल्प !!
उन्होंने  त्रिकेम तत्व विलास नमक ग्रन्थ में प्रस्तावना लिखी है !
अपने भजन भी लिखे है । उसमे सेसे एक भजन कि पंक्ति यह है !!
गुरु के अंतर्बाह्य कि कल्पना अद्भुत थी !
मुझे उनके अंत काल के दिन गुरु के प्रति स्मरण भावना देख आश्चर्य हुआ !!  पाटण आश्रम  में त्रिकम लालजी की बाातेे । यही उभर आया था !!
कहा रास्ता है ?
उनका आनंद मंगल व्यापे  घटमा एक ऊंचा भजन है !!

પાટણ આશ્રમ માં ધ્યાન નો રસ અદભુત હતો


बस जय जय भूमा