गुरुवार, 2 अप्रैल 2009

बापा















बापा नाम तो सब भाई यो में बड़ा होने से हुआ । उनके भजन उनकी दीर्घ दृष्टी उनकी हँसी भरा चहेरा ज्ञानकी बाते सहनशीलता शान्ति धीरज बड़े भाई का कर्तव्य संस्कृत कर्मकांड यह सब जिवंत था । कई उनके विद्यार्थी थे । उन्होंने ख़ुद कई भजन लिखे थे । वह कुछ http://www.astrowebindia.com/ । देखे जायेंगे ! अपने जीवन में पत्नी औ के मृत्यु एवं पिछले जीवन में जिम्मेदारियों ने बहोत कुछ परिवर्तन किए थे.वो राज ज्योतिषी थे । उत्तर गुजरात में मोहनपुर वदगम रानसन वगैरह राज्कुतुम्बो के कामो किए हुए थे ।


उनका इश्वर पर जो विस्वास है यह उनके लिखने में दीखता है !!








उनका राज ज्योतिष का समय कल बहोत ऊँचा था । उस ज़माने में उन्होंने सतत अपने कुटुंब में विद्या के महत्व को प्रस्थापित किया था । रमण  भाई को उस समय में इंग्लेंड भेजना  शिक्षा  प्राप्ति के लिए ! चाचा परसोत्तम पिता नरसिंह राम  नही थे।  चचेरा भाई भवानीशंकर  साहस  करना मानता था। बस इसी बात को लेकर विदेश का साहस क्र दिया था।  और वतान्प्रेम के कारन शिक्षा पूरी कर रमण भाई भारत में स्थिर हुए।
भानुभाई ,दह्याभई ,सुशिलाकाकी,शांतिलाल,भोगीलाल,चंद्रकांत भाई ,महाशंकर खड़े है।  निचे बैठे शिवशंकर ,रेवाशंकर ,रमणभाई ,रेवाबा ,भवानीशंकर ,उज़ीबाफोई की याद तस्वीर।